मेरी दीदी सेक्स की बड़ी प्यासी हैं. यह बात मेरे एक दोस्त ने मुझे बतायी. मेरी दीदी उसके भाई से सेट थी और उससे भी चुदती थी. मैं भी अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था.
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रमेश है और में उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं।
मेरी दीदी का नाम निशा है और वो 27 साल की है। मेरी दीदी बहुत भोली है। अभी उसकी शादी हो गयी है।
ये कहानी 4 साल पहले की है जब मेरी बहन 23 साल की और मैं 20 साल का था। अब ज्यादा न बोलते हुए मैं कहानी शुरू करता हूं।
मुझे शुरू से ही चुदाई को शौक था पर कोई मिलती नहीं थी। और मुझे मेरी दीदी के साथ सेक्स की चाहत भी बहुत पहले से थी। हम दोनों शहर में रहते थे पढ़ाई के लिए। हमने एक रूम ले रखा था। मम्मी पापा गाँव में रहते थे।
हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। दीदी फाइनल ईयर में और मैं फर्स्ट ईयर में। हम दोनों एक दूसरे से बहुत बातें करते थे और मस्ती करते थे। जब वो हंसती थी तो मन करता था कि उसके मुंह में तभी अपना लौड़ा डाल दूँ। मैं रोज़ रात को उसके नाम पर मुठ मारता था।
मैं दीदी को चोदने के लिए मरा जा रहा था।
एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी दीदी सेक्स की कामना पूरी ही गयी।
निशा दीदी हमेशा रात को मुझसे यह कहकर घर से चली जाती थी कि उसे अपनी सहेली के साथ रात भर पढ़ाई करनी है। दरअसल वो अपनी किसी सहेली के घर नहीं जाती थी। वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ उसके घर जाती थी और दीदी सेक्स करती थी उसके साथ।
यह बात मुझे मेरे दोस्त ने बताई। मेरा दोस्त मेरी निशा दीदी के बॉयफ्रेंड का भाई था। मेरे दोस्त का नाम सुनील था।
उसने मुझे ये बात इसलिए बताई क्यूंकि पहले वो भी मेरी दीदी से सेक्स करता था।
पर कुछ दिन पहले उसके भाई ने उससे कहा- मैं निशा से शादी करना चाहता हूँ इसलिए आज से तू निशा से दूर रहेगा।
यह सुन कर सुनील को बहुत बुरा लगा और जब सुनील ने कहा कि एक आखिरी बार मुझे मजे लेने दो तो उसके भाई ने उससे बहुत मारा।
ये सब सुनकर मुझे बहुत धक्का लगा। मैं सोचने लगा कि मेरी दीदी कितनी बड़ी रंडी है। यह सुनकर मैंने सुनील को तो कुछ नहीं कहा पर मुझे उसके भाई और निशा दीदी बहुत गुस्सा आ रहा था। मैं हमेशा से ही दीदी की सील तोड़ना चाहता था पर मुझसे पहले किसी और ने ही दीदी की सील तोड़ दी थी। मेरे दिल में मेरी दीदी के लिए ऐसी भावना है ये बात मेरे दोस्त भी जानते थे। मैं हमेशा से दीदी को चोदने की बातें उनसे करता रहता था।
तब मैंने और सुनील ने और मेरे बाकी दोस्तों ने एक प्लान बनाया कि जब भी अगली बार दीदी अपने बॉयफ्रेंड के घर जायेगी तब सुनील दीदी सेक्स की वीडियो बनायेगा और बाद में मैं दीदी को वो वीडियो दिखाऊंगा और उसे चुदाई के लिए ब्लैकमेल करूँगा।
उस दिन मैं घर गया और निशा दीदी से ज्यादा बात नहीं कि तो उसको कुछ शक़ हीने लगा।
दो दिन बाद रात को जब मैं घर आया तो दीदी कहीं जाने की तैयारी कर रही थी। मैंने दीदी से पूछ लिया- तुम कहाँ जा रही हो?
तो दीदी ने कहा- मैं अपनी सहेली सुमिता के घर पढ़ाई की लिए जा रही हूँ। तेरे लिए खाना बना लिया है, खा लेना।
इतना कहकर दीदी जल्दी में निकल गयी।
मैंने मेरे एक दोस्त को फ़ोन किया जो पास में ही रहता था। उसको मैंने दीदी का पीछा करने को कहा, तो वो दीदी के पीछे पीछे गया और उसने मुझे फ़ोन कर के बताया कि वो सुमित के साथ कार में बैठ कर चली गयी है। सुमित उसका बॉयफ्रेंड है।
मैंने सुनील को फ़ोन किया और उसको बता दिया कि दीदी और उसका भाई यहाँ से निकल चुके हैं। तो उसने जल्दी से सुमित के रूम में जाकर कैमरा फिट कर दिया।
और बाकी का तो आपको पता ही है क्या होने वाला था।
सुबह सुनील ने मुझे वो वीडियो भेजी। मैं तो दीदी को देख कर दंग रह गया। क्या बॉडी थी दीदी की। एक दम रंडी लग रही थी।
उस दिन दीदी सुमित के घर से ही कॉलेज गयी थी। मैं कॉलेज नहीं गया था मैं तो रात का इन्तज़ाम कर रहा था। मैंने चॉकलेट फ्लेवर के एक्स्ट्रा डॉटेड कंडोम लिए ताकि दीदी को अच्छा लगे।
शाम 5 बजे दीदी घर आई और मैं दीदी को देख कर बहुत ख़ुश हुआ पर मैंने अपना चेहरा गुस्से वाला बनाये रखा। दीदी रूम में आयी और इसके पहले कि निशा दीदी कुछ बोलती मैंने दीदी को अपने पास बुलाया और दीदी को अपने फ़ोन से वो सेक्स वीडियो दिखा दी।
और दीदी उस वीडियो को देख कर डर गई।
मैंने दीदी से कहा- दीदी ये क्या है? पापा मम्मी ने ये करने के लिए आपको यहाँ भेजा है?
दीदी ने कहा- ये वीडियो तुम्हारे पास कहाँ से आयी?
मैंने कहा- ये मुझे सुनील ने दी है और उसने मुझे सब कुछ बता दिया है।
ये सुन कर दीदी बहुत डर गई और रोने लग गयी।
मेरी दीदी बहुत भोली है। वो जल्दी ही किसी की बातों में आ जाती है। इसलिए ही तो दीदी सेक्स के लिए तैयार हो गयी थी सुमित के साथ … साथ ही सुनील के साथ चुदने के लिए तैयार हो गयी थी। उसके इस भोलेपन का फायदा मैंने भी उठाया।
मैंने दीदी से कहा- मैंने तो सोचा था कि आप बहुत शरीफ़ हो और कभी झूठ नहीं बोलती हो। पर आप तो मुझ से झूठ बोल के सुमित के साथ ये सब करने जाती हो?
तो दीदी ने रीते हुए कहा- मुझे सुमित ने कहा था कि जब भी मैं तुम्हें लेने आऊंगा तो तुम रमेश को ये सब बोल देना।
तब मुझे पूरा यकीन को गया कि सुमित ने निशा दीदी के भोले पन का पूरा फ़ायदा उठाया है।
तो मैंने दीदी से कहा- मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है मैं उस सुमित को मार डालूंगा और पापा को सब कुछ बता दूंगा।
हमारे पापा बहुत गुस्से वाले हैं और अगर उन को ये सब पता चल जाता तो वो दीदी को सच में मार डालते।
तो दीदी बहुत ज्यादा डर गई और रोते हुए कहने लगी- ऐसा मत करना रमेश प्लीज। पापा मुझे और सुमित को मार डालेंगे। मैं सुमित से बहुत प्यार करती हूँ।
मैंने थोड़ी सी एक्टिंग की और दीदी को कहा- नहीं दीदी, मैं सुबह गाँव जा रहा हूँ और पापा को सब बता दूंगा।
तो दीदी मेरे पैर पकड़ के बोलने लगी- नहीं रमेश, प्लीज, ऐसा मत करना।
दीदी का रोते हुए बुरे हाल हो गए थे।
तो मैंने फिर वो बात कर ही दी जो मैं करना चाहता था। मैंने कहा- दीदी मैं एक शर्त पर मानूँगा। अगर वो बात मान ली तो तुम और सुमित बच जाओगे।
ये सुन कर दीदी ने तुरंत हाँ बोल दिया।
दीदी ने कहा- ठीक है तुम जो कहोगे मैं वो करुँगी।
मैंने कहा- खाओ मेरी और सुमित की कसम कि आप मना नहीं करोगी।
दीदी ने कहा- मैं कसम खाती हूँ।
तब मैंने हिम्मत कर के बोल ही दिया- जो तुमने सुमित और सुनील के साथ किया है वो मेरे साथ भी करना होगा।
तो दीदी ने हैरानी से मुझे देखा और कहा- क्या मतलब है तुम्हारा?
मैंने कहा- देखो दीदी, मैं भी जवान हो चुका हूँ, मेरी भी इच्छा होती है कि मैं अपनी प्यास बुझाऊँ।
दीदी गुस्से से बोली- ये क्या कह रहे हो तुम रमेश? मैं तुम्हारी बहन हूँ। मैं तुम्हारे साथ ऐसा बिल्कुल नहीं करुँगी। तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गयी ऐसा बोलने की?
इससे पहले दीदी ज्यादा कुछ बोल पाती, मैंने गुस्से से दीदी को बोला- तुम घर से बाहर किसी और से चुदवाती हो; क्या ये मैं बर्दाश्त कर लूँ?
पर दीदी मानने को तैयार ही नहीं थी।
तो मैंने दीदी को फिर याद दिलाई और कहा- दीदी अभी अभी तुमने मेरी और सुमित की कसम खाई थी ना? उसका क्या हुआ?
दीदी थोड़ी डर गई।
मैंने देखा कि दीदी को मेरी बातों का असर पड़ रहा है। तो मैंने दीदी को और समझाया और आखिरकार दीदी मान ही गयी।
पर दीदी ने कहा- अगर सुमित को पता चला तो वो मुझसे शादी नहीं करेगा।
तो मैंने कहा- सुमित को कैसे पता चलेगा? आप घबराओ मत।
दीदी ने कहा- सुनील को तो सब पता है। अगर उसने बता दिया तो?
तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया।
मैंने दीदी से कहा- दीदी एक रास्ता है जिससे वो सुमित को कुछ नहीं बतायेगा।
दीदी ने कहा- क्या रास्ता है?
मैंने कहा- दीदी, उसने मुझे आपके बारे में इसलिये बताया था क्यूंकि आप दोनों ने उससे आपकी चुदाई करने से मना कर दिया था। तो अगर आप उसको 1-2 बार उसको मजे दिला दो तो उसका गुस्सा खत्म हो जायेगा।
दीदी फिर से सोच में पड़ गयी और मना करने ही वाली थी कि मैंने दीदी से फिर बोला- दीदी सिर्फ 1-2 बार की ही तो बात है।
तो दीदी ने मजबूरी में सेक्स के लिए हां कर दिया।
फिर मैंने जल्दी से दीदी को पीछे से पकड़ लिया। पर दीदी ने मेरे हाथों को हटा दिया और मुझसे दूर हो गयी और कहा- रमेश ये सब ठीक नहीं है। हम दोनों भाई बहन हैं।
तो मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं होगा। इससे हम दोनों के बीच और नज़दीकियां आ जायेगी।
पर दीदी मान नहीं रही थी और कहने लगी- मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
अब मुझे गुस्सा आ गया और मैंने दीदी को कहा- दीदी, आप अब चाहे कुछ भी कह लो, अब तो मैं आपकी चूत मार कर ही रहूँगा। अब आप बोलो पापा को मैं सब बता दूँगा तो आपके और सुमित के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। इसलिए सीधे सीधे मेरी बात मानो। इसी में आपकी भलाई है।
दीदी समझ गयी और खुद ही मेरी तरफ मुड़ गयी। मैं बहुत खुश हो गया। फिर मैंने दीदी को ज़ोर से गले लगाया। दीदी के स्तन मेरी छाती से लग रहे थे। मेरा लौड़ा तो उसी वक्त खड़ा हो गया।
फिर मैंने दीदी की गर्दन पर चुम्मा किया और धीरे धीरे गालों और फिर होंठों तक किस्स करता रहा। वो फीलिंग ऐसी थी कि मैं आपको बता नहीं सकता। मैं तो मानो स्वर्ग में पहुँच गया था।
दीदी अभी भी पूरे मन से मेरा साथ नहीं दे रही थी। पर होंठों पर चुम्बन करने से दीदी मदहोश होने लगी इसलिए मैंने दीदी को 10 मिनट तक चुम्बन किया।
अब मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाया और दीदी को उनके चूतड़ों से पकड़ कर अपने बेडरूम में ले गया और दीदी को वहाँ लिटा दिया।
मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े खोल दिए और मेरा 8 इंच का लौड़ा दीदी के सामने आ गया।
दीदी मेरे लण्ड को देख कर शर्मा गयी।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी, क्या सुमित का भी इतना बड़ा है?
दीदी ने कहा- हाँ … पर सुनील का थोड़ा छोटा है।
यह सुन कर मुझे पता चल गया कि अब दीदी मेरे साथ घुल-मिल रही हैं। अब मैंने दीदी को खड़े होने को कहा। फिर मैंने दीदी की कमीज़ उतार दी और दीदी के स्तन ब्रा छुपने की कोशिश कर रहे थे।
फिर मैंने दीदी की ब्रा भी खोल दी और दीदी के स्तन मेरे सामने आ गए। दीदी के स्तन ज्यादा बड़े नहीं थे। पर मेरा लौड़ा उनको देख कर सलामी मारने लगा।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी आपके स्तन ज्यादा बड़े नहीं हैं। ऐसा क्यूँ?
दीदी ने शर्माते हुए कहा- सुमित और सुनील सिर्फ सिर्फ मेरी चूत पर ही ध्यान देते हैं। स्तनों से उनको ज्यादा लगाव नहीं है।
मैंने कहा- दीदी आप चिन्ता मत करो, मैं आपके स्तनों को पहाड़ जितने बड़े बना दूंगा।
अब मैंने दीदी को लिटा दिया और दीदी के स्तनी को हाथों से ज़ोर ज़ोर से मरोड़ने लगा और चूचियों को ज़ोर ज़ोर से पीने लगा। मैं इतना मदहोश हो गया था कि मैं पागलों की तरह दीदी के स्तनों से खेल रहा था। इससे दीदी को बहुत दर्द हो रहा था और दीदी आ … आ … करने लगी। निशा दीदी की ये आवाज़ सुन कर मुझे और मज़ा आने लगा।
दीदी को भी मजा आ रहा था पर साथ में दर्द भी हो रहा था। दीदी कहने लगी- रमेश ये तुम क्या कर रहे हो! आ … अयि … थोड़ा धीरे करो। आ … आह … मुझे बहुत दर्द हो रहा है। आ … आह …
तब मैं दीदी के स्तनों से हट गया।
मैंने देखा दीदी रो रही है और दीदी के स्तन लाल हो गए हैं।
दीदी ने अपने स्तनों को पकड़ा और रोते हुए बोली- तुम जानवर हो क्या? तुम्हें पता भी है मुझे कितना दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- मुझे माफ़ कर दो दीदी। वो मैं आपको देख कर पागल सा हो गया था। अब मैं आराम से करूँगा।
दीदी ने कहा- नहीं स्तनों में बहुत दर्द हो रहा है। अब कुछ और कर लो।
फिर क्या था दोस्तो … मैंने झट से अपने लौड़े को अपने हाथ में पकड़ा और दीदी के मुँह के सामने रख दिया।
दीदी ने एक झलक मुझे देखा और मैंने इशारा करते हुए कहा कि इसे चूसो।
फिर दीदी से जैसे ही मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपने होंठों पर रखा तो मेरी आआह … निकल गयी। दीदी ने अब सारा लण्ड अपने मुंह डाल दिया और अंदर बाहर करके चूसने लगी।
मैंने दीदी से कहा- दीदी, क्या चूस रही हो आप! आ … आह … और तेज़ चूसो ना!
तो दीदी ने और स्पीड बढ़ा दी।
15 मिनट लगातार चूसाते हुए मैं इतना मग्न हो गया था कि मैंने दीदी के मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ दिया। दीदी ने झट से मेरा लण्ड अपने मुंह से निकाल दिया और वीर्य को अपने मुंह से थूक कर निकाल दिया।
निशा दीदी ने गुस्से से कहा- ये क्या कर दिया रमेश तूने? आधा वीर्य मैंने पी लिया। ये अच्छा नहीं हुआ।
मैंने कहा- दीदी, माफ़ कर दो, मैं चुसाने में मस्त हो गया था। मुझे याद ही नहीं रहा कि मुझे बाहर झड़ना चाहिए था।
निशा दीदी ने कहा- अब क्या होगा अगर मैं गर्भवती बन गयी तो?
मैंने कहा- दीदी आप फ़िक्र मत करो, उससे आप को कुछ नहीं होगा।
दीदी ने कहा- ठीक है पर अब नीचे करती बार ध्यान रखना।
मैंने कहा- ठीक है ध्यान रखूँगा।
अब मैं झड़ चुका था पर दीदी को गर्म करना भी जरूरी था। मैं तो अब दीदी की चूत देखना चाहता था। अब मैंने दीदी की सलवार खोल दी। दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी थी। जो कि गीली हो गयी थी। इससे मुझे पता चल गया कि दीदी भी मजे ले रही है और मेरा लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई है।
अब मैंने अपनी दीदी की पैंटी भी खोल दी। मेरी दीदी की चूत एकदम साफ थी; चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने दीदी से कहा- दीदी आपकी चूत बहुत प्यारी है। अब समझ में आया कि सुमित आपको इतना प्यार क्यूँ करता है।
अब मैंने दीदी की चूत को सूंघा। दीदी की चूत से बहुत मोहक खुशबू आ रही थी। पहले मैंने दीदी की चूत को अपने हाथों से सहलाया; निशा दीदी की चूत को महसूस किया, फिर मैंने अपनी जीभ निकली और दीदी की चूत में डाल दी और ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था और दीदी तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… अरे … आह … आई … ओह … कर रही थी और मदहोश हो गयी थी। दीदी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उस पल का आनंद ले रही थी।
10 मिनट तक मैंने दीदी की चूत चाटी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लौड़ा फिर से सलामी देने लगा था। अब मेरा लण्ड निशा दीदी की गुफ़ा में जाने के लिए बेसब्र था।
मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी मेरी तरफ देख रही थी। दीदी सेक्स के आतुर दिख रही थी. ये वो पल था जिसका मैं सालों से इंतज़ार कर रहा था। अब मैंने अपना लण्ड दीदी की प्यारी सी चूत पर रखा और रगड़ा। इससे दीदी और मैं मदहोश हो गए।
दीदी ने अपनी आँखें बंद कर दी और मेरे लौड़े के उनकी चूत के अंदर जा के तबाही मचाने का इंतज़ार करने लगी। मैंने भी पूरी ताकत से ज़ोर का झटका मारा और आधा लण्ड पहली ही बार में अंदर चला गया और दूसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया।
उस समय ऐसा महसूस ही रहा था जैसे ज़िन्दगी की सारी ख्वाहिशें पूरी हो गयी हों। मैं तो एकदम पागल हो गया और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत में धक्के मारने लगा।
हालांकि मैं पहले भी 1-2 बार चुदाई कर चुका था पर अपनी दीदी को चोदने का मज़ा कुछ और ही होता है दोस्तो।
मैं इतनी जोर ज़ोर से दीदी की चूत मार रहा था कि सारे कमरे में ‘पट-पट’ की आवाज़ गूंझ रही थी. दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि वो मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारने लगी. दीदी की चीख निकलने वाली थी पर मैंने दीदी के हाथ पकडे और दीदी के मुंह पर रख कर ज़ोर से दबा दिया ताकि दीदी की आवाज हमारे मकानमालिक को न सुनाई दे जाए।
इतनी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने से दीदी की चूत लाल हो गयी थी। दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि दीदी रोने लगे गयी थी और मुझे खुद से दूर करने कि कोशिश कर रही थी। मुझे पता था कि दीदी को बहुत दर्द हो रहा है पर मैं रुकना नहीं चाहता था। मैं इस मजे को खोना नहीं चाहता था।
20 मिनट तक मैंने दीदी को चोदा और दीदी की चूत में ही झड़ गया और दीदी के ऊपर ही तक कर लेट गया।
अब दीदी का मुंह भी खुल गया। मुंह खुलते ही दीदी ज़ोर ज़ोर से दर्द से रोने लगी।
तब मैं दीदी के ऊपर से हटा और दीदी की चुप करने लगा। मैंने कहा- दीदी रोओ मत, नहीं तो कोई आ जायेगा।
तब दीदी थोड़ा चुप हुई और सिकुड़ कर बैठ गयी और दबी हुई आवाज में रोने लगी।
मैं बहुत डर गया; मैंने कहा- दीदी माफ़ कर दो। आपको दर्द तो नहीं हो रहा है?
दीदी ने रोते हुए कहा- तू सच में पागल जानवर है। तेरा बस चले तो तू तो मुझे मार ही देगा। कुत्ता कहीं का। और तो और तूने फिर से अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.
मैंने कहा- दीदी माफ़ कर दो, वो गलती से हो गया। आप चिन्ता मत करो, मैं कल सुनील से दवाई मंगवा लूंगा। आप डरो मत!
तो दीदी मान गयी और चुप हो गयी।
मैंने तभी सुनील को मेसेज कर दिया दवाई लाने के लिए!
अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेटे थे। दीदी ने अपनी चूत अपनी पैंटी से साफ़ की और लेट गयी।
तभी मैं उठ गया और सामने से तेल के बोतल उठा के लाया और दीदी से कहा- मैं आपकी मालिश कर देता हूँ।
मैंने दीदी की मालिश करते हुए कहा- दीदी, आपको यकीन नहीं होगा पर मैं आपको बहुत पहले से चोदना चाहता था और आज वो इच्छा पूरी हो गयी है। आज आपको चोद कर मेरा दीदी सेक्स का सपना पूरा हो गया।
इस पर दीदी ने कुछ नहीं कहा।
मैं दीदी की मालिश करता रहा; पहले स्तनों की और बाद में चूत की भी।
अब मैंने दीदी को उल्टा होकर घोड़ी बनने को कहा तो दीदी जल्दी ही मान गयी. क्यूंकि दीदी को पता था कि मेरा लौड़ा फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया है। फिर मैंने दीदी की चूत और गांड पर बहुत सारा तेल लगाया। फिर मैंने अपने लौड़े पर भी तेल लगाया।
अब मैंने तेल की बोतल को पास में रखा और अपने लौड़े को निशा दीदी की गांड पर रख दिया और अंदर डाल दिया। तेल की वज़ह से मेरा बादशाह दीदी की गांड की गुफ़ा में जल्दी ही चला गया। अब की बार मैंने दीदी की गांड आराम से मारी पर वीर्य गांड में ही डाला।
उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा।
सुबह लगभग 11:30 बजे हमारा दरवाजा किसी ने खटखटाया।
दीदी इतनी तक गयी थी कि दीदी को दरवाजे की आवाज सुनाई ही नहीं दी। तो मैं जल्दी उठा और कपड़े पहन कर दरवाजा खोला तो देखा कि मेरा दोस्त सुनील आया था और उसके साथ मेरा एक और दोस्त राहुल भी था।
मैंने दोनों को अंदर बुलाया। मैंने सुनील से कहा- सुनील यार, राहुल तेरे साथ कैसे?
सुनील- यार, तू घबरा मत। मैं तुझे सारी बात बताता हूँ। देख राहुल को सब पता ही है। इसने भी उस दिन निशा का पीछा कर के तेरी मदद की है तो अब ये और सुभाष (मेरा एक और दोस्त) भी चाहते है कि ये भी इस मनोरंजन का हिस्सा बनें।
मैंने कहा- यार, ये कैसी बात हुई मैं कैसे सबसे अपनी दीदी को चुदवा सकता हूँ?
सुन- यार देख, एक बार ही की तो बात है। मैं तुझसे वादा करता हूँ कि ये एक ही बार तेरी दीदी को चोदेंगे और मैं भी एक ही बार तेरी दीदी की चुदाई करूँगा।
मैंने सोचा कि ये सही है। अपने सभी दोस्तों को एक एक बार दीदी से सेक्स करने देता हूँ। अगर मैं मना कर देता तो सुनील हर रोज़ मेरी दीदी को चोदता।
तो मैंने कहा- ठीक है। राहुल यहाँ है और सुभाष को बुला दे। आज की दीदी की चुदाई जम के कर देना और बाद में यहाँ से चले जाना।
सुनील- यार, सुभाष तो आज यहाँ नहीं है वो कल आएगा। उसका काम कल करवा देना।
तो मैंने कहा- ठीक है। वैसे भी दीदी एक बार में 3 लोगों से चुदवाने में कभी नहीं मानेगी। तुम लोग यहीं रुको को दीदी को सब समझाता हूं और मना के लाता हूँ।
जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने देखा कि दीदी उठ गई है और दीदी ने सब सुन लिया है। जैसे ही मैं कुछ बोलता दीदी ने ही बोल दिया- मैंने सब सुन लिया है। मैं तैयार हूँ। वैसे भी इसके बाद इन सब से पीछा तो छूटेगा। रमेश, उनको अंदर आने को बोल दो।
मैं तो अंदर से खुश हो गया कि दीदी बिना बोले ही मान गयी।मैं बाहर गया और सुनील और राहुल को अंदर आने के लिए बोल दिया।
जैसे ही वो अंदर आये तो उन लोगों ने देखा कि दीदी पहले से ही नंगी बिस्तर पर बैठी हुई है।
वो दोनों तो खुश हो गए और वो सीधे ही दीदी के पास जा के बैठ गए और दीदी की चूत और स्तनों को सहलाने लगे।
मेरे सामने मेरी सगी दीदी को मेरे दोस्त चोद रहे हैं ये सब मैं नहीं देखना चाहता था तो मैं बाहर चला गया और उनसे कहा- ज्यादा आवाज़ मत करना, नहीं तो कोई आ भी सकता है।
इतना कह कर मैंने दरवाजा बन्द कर दिया और वो अंदर दीदी को चोदने के मजे लेते रहे।
मैंने बाहर देखा कि सुनील एंटी-प्रैग्नेंसी टेबलेट ले आया था।
तभी राहुल बाहर आया और उसने कहा- यार रमेश! मैं समझ सकता हूँ कि तू अपनी दीदी को ऐसी हालत में नहीं देख पायेगा। इसलिये तू थोड़ी देर बाहर घूमने चला जा।
मैंने सोचा कि राहुल ठीक ही बोल रहा है। इसलिए मैं 2 घण्टे के लिए बाहर चला गया।
2 घण्टे बाद मुझे सुनील का फ़ोन आया और उसने कहा- हम लोग जा रहे हैं और तू आ जा।
तो मैं तुरंत रूम में आ गया।
वापिस आ कर मैंने देखा कि दोनों राहुल और सुनील बाहर बैठे हैं और जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मैंने उनसे पूछा- कैसा रहा?
तो उन लोगों ने हंसते हुए कहा- बहुत ज्यादा मज़ा आया भाई। तेरी बहन सच में एक नंबर की रंडी है। हम दोनों ने उसको बहुत अच्छे से चोदा।
मैंने कहा- ठीक है, कल सुभाष को भेज देना और अब कभी भी दीदी को चोदने के बारे में मत बोलना। अब दीदी को चोदने का हक सिर्फ मेरा है।
अब वो लोग मान गए और चले गए।
मैं अंदर दीदी के पास गया तो देखा दीदी बिस्तर पर लेटी हुई है और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े हुए थे जो पिछले दिन मैं ले के आया था। ये देख कर मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों ने दीदी को बिना प्रोटेक्शन के नहीं चोदा।
मैंने दीदी से कहा- दीदी … क्या सब ठीक है?
दीदी- हाँ, सब ठीक है पर इतनी चुदाई के बाद मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैं नहाना चाहती हूँ पर उठने की ताकत नहीं बची है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जा कर नहलाता हूँ।
इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े खोले और नंगा होकर दीदी को उठाया और बाथरूम में ले गया। वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद को भी साबुन लगाया।
दीदी का भीगा बदन देख कर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। पर मुझे पता था कि दीदी की बहुत चुदाई हो गयी है इसलिए मैंने दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाला और दीदी के मुंह को चोद दिया।
नहाने के बाद मैंने ही दीदी को कपड़े पहनाये और मैं बाहर से खाना ले कर आया था। हम दोनों से मिलकर खाना खाया और बाद में मैंने दीदी को वो दवाई दे दी।
उसके बाद दीदी ने सारा दिन आराम किया।
रात को दीदी को सुमित का फ़ोन आ गया और दीदी डर के मुझसे कहने लगी- अब क्या करूँ?
तो मैंने कहा- उसको बोलो कि आज आपकी तबीयत खराब है और रमेश मेरे साथ है। इसलिए मैं 4-5 दिन तेरे साथ नहीं आ सकती।
दीदी ने सुमित के साथ ये सब बोल दिया और दीदी अपनी चूत और ज्यादा फड़वाने से बच गयी।
अगले दिन सुभाष को मैंने फ़ोन किया और वो भी दोपहर 2 बजे घर आ गया और उसने भी दीदी की चूत और गांड खूब मारी।
उसके बाद वो सब दीदी से दूर हो गए। हालाँकि हम दोस्तों में ऐसी गन्दी बातें तो चलती ही रहती थी। निशा दीदी की चुदाई के बाद भी हम सब दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था पर मैं उनके साथ ज्यादा नहीं जाता था क्यूंकि मुझे तो घर में ही चुदाई की दुकान मिल गयी थी।
मैंने दीदी को एक साल तक हर रोज़ चोदा है। हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोते थे। मैं रोज़ रात को दीदी की चुदाई करता था और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ सोते थे। कभी मैं दीदी को बाथरूम में नहाते बार चोदता तो कभी रसोई में खाना बनाते बार तो कभी सफ़ाई करते वक्त।
वो एक साल मेरी ज़िन्दगी का बहुत सुन्दर साल था।
उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गयी और नौकरी की तलाश करने लगी। उसके बाद हम जब भी अकेले में मिलते तो मैं दीदी सेक्स का मजा लेता। कभी गाँव वाले घर में रात को मैं चुपके से दीदी के कमरे में जाता और मजे ले के वापिस अपने कमरे में वापिस हो जाता था।
कुछ साल बाद दीदी की सुमित से शादी हो गयी और मैं नौकरी लग गया था। समय के साथ हम सब दोस्त दूर हो गए और अब उनसे मिले काफी समय हो गया।
अभी भी शादी के बाद भी जब निशा दीदी अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत मार लेता हूँ। फर्क बस इतना है कि अब दीदी की चूत नहीं भोसड़ा बन गया है।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी दीदी सेक्स की कहानी? मुझे जरूर बताइयेगा।
और क्या आप भी अपनी दीदी से सेक्स चाहते हैं, ये भी बताइयेगा।
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