तारक मेहता का उल्टा चश्मा सेक्स कहानी में पढ़ें कि भिड़े मास्टर की बीवी को पैसों की जरूरत थी तो चम्पक चाचा ने माधवी की चूत चोद कर उसके बदले पैसे दिए.
यह TMKOC सेक्स कहानी माधवी और चम्पक चाचा की आपस में चुदाई की है.
माधवी रोज की तरह अपने घर में बैठे हुए अचार पापड़ के पैकेट पैक कर रही थी।
तभी उसने अखबार पर एक जाहिरात यानि इश्तेहार देखा जिसमें साड़ियों की सेल लगी थी।
उसने सोचा कि काश वो भी इस सेल में से एक दो साड़ी खरीद पाती।
यही सोचते हुए वो खुद से बात करने लगती है।
वो बोली- अगर मेरे पास 5 हजार रुपए होते तो इतनी अच्छी साड़ी खरीद लेती और सबको अपनी खूबसूरती से जलाती. लेकिन ये तो एक नंबर के कंजूस हैं, मुझे कभी पूछते ही नहीं हैं। और मैं जो अचार बेच कर कमाती हूं, उससे भी मैं नई साड़ी नहीं खरीद पाऊंगी.
यह बोलते हुए वो निराश होकर अपने काम में लग गई।
तभी दरवाजे पर ख़ट खट हुई … कोई आया है।
माधवी देखने के लिए दरवाजे पर गयी कि कौन है।
जेठा के पिता चंपक लाल माधवी के दरवाजे पर था।
वो आज घर से ऐसे ही घूमने निकला था।
उसने बाहर गेट पर भिड़े को कही जाते हुए देखा था और सोनू भी स्कूल गई थी।
तो उसने सोचा कि क्यों न आज माधवी से अकेले में मिला जाए।
और वो उसके घर पहुंच गया।
माधवी ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी और उसकी गोरी सफेद बाहें चमक रही थी।
वो दरवाजे के सामने खड़ी हुई और चंपक चाचा को देख कर मुस्कुराती हुई बोली- अरे चाचा जी, आइए न … अंदर आइए!
चंपक उसके गदराये शरीर को देखकर मदहोश हो गया था।
वो माधवी के पीछे पीछे चल दिया और सोफे पर बैठ गया।
“अरे माधवी बेटा, भिड़े घर पर है क्या?” उसने जानबूझ कर पूछा।
“नहीं, वो तो बाहर गए हैं … क्यों कुछ काम था?” माधवी ने चंपक से पूछा।
“हां थोड़ा काम था लेकिन कोई बात नहीं … मैं बाद में मिल लूंगा। और तुम बताओ क्या कर रही हो?” चंपक ने माधवी के बाजू को हल्का सा छूते हुए पूछा।
माधवी ने अचकचा कर चंपक का हाथ अपने बाजू से हटाते हुए कहा- कुछ नहीं चाचा जी, बस अचार बना रही थी।
चंपक- माधवी, कितना कमा लेती हो अचार बेच कर?
माधवी- जी, ज्यादा नहीं … बस गुजारा कर लेती हूँ.
चंपक- अरे क्या करें माधवी बेटा, मंदी में सबका यही हाल है.
माधवी- चाचा जी, आपके लिए कुछ लाऊं चाय दूध कुछ?
चंपक- अगर एक कप चाय मिल जाती तो …
माधवी हंसती हुई- जी चाचा जी, आप बैठिए, मैं अभी लाती हूं।
माधवी किचन में चाय बनाने चली गयी और चंपक सोफे पर बैठे हुए उसके ख्यालों में खो जाता है।
थोड़ी देर के बाद माधवी अपनी गांड मटकाती हुई चाय लेकर आई।
जब वो चाय का कप पकड़ाने के लिए झुकी तो चंपक चाचा की नजर उसके गोरे गोरे चूचों पर पड़ गयी।
माधवी उसके इरादे समझ लेती है और साड़ी के पल्लू से अपने चूचों को ढक लेती है।
चंपक चाय लेता है और माधवी सामने सोफे पर बैठ जाती है।
माधवी के भरी पूरी जिस्म को घूरते हुए चम्पक चाय पीने लगता है।
फिर माधवी थोड़ी परेशान सी नजर आती है।
तो चंपक ने उससे पूछ लिया- क्या हुआ माधवी बेटी, तुम कुछ परेशान नजर आ रही हो?
माधवी- अरे नहीं चाचाजी, ऎसी कोई बात नहीं है।
चंपक- अगर कोई बात है तो बताओ. शायद मैं कोई मदद कर सकूं।
माधवी कुछ नहीं बोली।
बोलती भी क्या … वो चंपक के घूरने से परेशान थी।
लेकिन फिर उसने सोचा कि क्यों न चंपक चाचा से पैसे उधार ले लूं साड़ी के लिए।
माधवी- चाचाजी, क्या आप मुझे कुछ पैसे उधार दे सकते हैं?
चंपक- किसलिए चाहियें पैसे बेटा?
माधवी- वो कुछ काम था मैं लौटा दूंगी। बस 5 हजार चाहियें।
चंपक- अरे माधवी, पैसे लौटाने की कोई जरूरत नहीं है।
माधवी- क्यों नहीं, मैं आपके पैसे ऐसे ही मुफ्त में नहीं ले सकती।
चंपक- माधवी, मेरे पास पैसे तो बहुत है लेकिन …
माधवी- लेकिन क्या चाचाजी?
चंपक- मैं कुछ अकेला सा पड़ गया हूं।
माधवी- मैं कुछ समझी नहीं?
चंपक- अगर तू मेरे साथ एक बार सोने को तैयार हो जाए तो मैं तुझे 5 क्या 10 हजार दे दूंगा।
माधवी- ये आप क्या कह रहे हैं?
चंपक- मैं तुम्हें इसी शर्त पर पैसे दे सकता हू।
माधवी सोच में पड़ जाती है।
सिर्फ चंपक ही उसे पैसे दे सकता है और वो पैसे वापिस भी नहीं चाहता बस उसे बदले में चोदना चाहता है।
थोड़ी देर सोचने के बाद माधवी ने हां कर दी और वह चंपक चाचा से चुदने के लिए तैयार हो गई।
माधवी- लेकिन यहां नहीं … बाथरूम में! यहां कोई देख सकता है।
चंपक- जहाँ तुम चाहो!
और यह बोलते ही चंपक माधवी के पीछे पीछे चल पड़ता है।
माधवी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और चंपक को अंदर ले लिया।
फिर उसने दरवाजा बंद किया और दरवाजे पर अपनी पीठ सटाकर खड़ी हो गई।
चंपक ने सीधे उसके चूचों पर हाथ डाल दिया।
माधवी चुपचाप उसे ये सब करने देती है।
चंपक का लौड़ा खड़ा हो चुका था और वो उसकी धोती में दिखाई दे रहा था।
उसने अब माधवी को अपनी तरफ खींचा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा।
फिर उसका लौड़ा माधवी के जिस्म पर रगड़ रहा था; कभी टांगों पर तो कभी उसकी चूत पर भी।
चंपक ने अपनी धोती खोल दी और माधवी की साड़ी भी उतार दी, ब्लाउज पेटीकोट भी, ब्रा भी!
माधवी ने पैंटी पहनी ही नहीं थी.
अब माधवी पूरी नंगी हो चुकी थी।
चंपक ने उसे नीचे बैठाया और अपना लन्ड चूसने को कहा.
माधवी ने कभी लंड चूसा नहीं था, भिड़े मास्टर को ट्यूशन पढ़ने से ही फुर्सत नहीं थी तो वो सेक्स में नए नए तरीके कहाँ से करता.
माधवी ने चम्पक चाचा को लंड चूसने से यह कहा कर मना किया कि उसने कभी ऐसा नहीं किया किया है.
तो चाचा ने कहा- भिड़े तो पूरा चूतिया है, उसे इतनी बढ़िया माल की चुदाई करनी भी नहीं आई.
तब चाचा ने माधवी से कहा- एक बार होंठ खोल कर लंड के ऊपर रख दे, आगे का काम मैं खुद कर लूँगा.
माधवी ने हिचकिचाते हुए अपना मुंह खोला और होंठ चम्पक के सुपारे पर रख दिए.
चम्पक ने एक धक्का आगे को लगाया और पूरा लंड माधवी के मुंह में घुसेड़ दिया.
माधवी को खांसी उठ गयी पर जल्दी ही उसने लंड चूसना सीख लिया.
इस तरह से चम्पक चचा ने माधवी से लंड चुसवाया।
फिर उसने माधवी को घुटनों के बल झुकाया और सामने रखी तेल की बोतल से अपने लंड को तेल लगाया और फिर माधवी के चूतड़ों के बीच में तेल लगाया।
उसकी चूत तेल से चिकनी हो गई।
चंपक चाचा ने अपना लंड बड़े आराम से उसकी चूत में डाल दिया और माधवी धीरे धीरे सिसकारियों की आवाज निकालने लगी।
फिर चंपक ने थोड़ा जोर का झटका दिया और माधवी की चीखें निकालना शुरू हो गई।
माधवी- अरे चाचा, क्या कर रहे हो आप? जरा आराम से करो! इनका बहुत छोटा है, आपका बड़ा है, दर्द हो रहा है मुझे!
चंपक- तुझे पैसे चाहिए न तो चुपचाप मेरी रण्डी बनकर चुदती रह … वरना एक पैसा नहीं दूंगा तुझे साली रण्डी!
माधवी- आ मर गई मैं … आआ छोड़ो मुझे … आराम से करो ना चाचा आआ … अरे आई रे मर गई मैं तो!
चंपक- चुप रह कुतिया … पूरी सोसायटी को बताना है क्या कि तू चम्पक चाचा से चुद रही है?
माधवी- तो आराम से करो ना … इस उमर में भी आपका लंड काफी जोशीला है। दया भाभी क्या खिलाती हैं आपको?
चंपक को तारीफ सुनकर और जोश आ जाता है और वो अब और भी जोर से पेलने लगता है- ये मेरे गांव के देसी घी का कमाल है.
माधवी- अरे आराम से आह मेरी चूत फट न जाए!
चंपक ने कुछ न सुना और माधवी को खूब चोदा।
फिर उसका माल निकलने वाला था तो उसने अपना लौड़ा माधवी की चूत से बाहर निकाला और माधवी को सीधा करके बोला- मेरा लौड़ा चूस रंडी माधवी, और चाट चाट कर साफ कर दे।
माधवी दर्द में थी और अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखे उसे सहला रही थी और चंपक का लोड़ा चूसने लगी।
थोड़ी देर तक चूसने के बाद चम्पक चाचा का माल माधवी के मुंह में ही छूट गया।
और फिर माधवी ने सारा निगल लिया।
चंपक ने कहा- मेरा लोड़ा साफ कर!
माधवी ने चाट चाट कर चम्पक चाचा का काला लंड साफ कर दिया।
चुदाई पूरी हुई तो दोनों ने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल गए।
माधवी- चाचाजी, आप मुझे मेरे चुदाई के पैसे कब दोगे?
चंपक- शाम को मेरे घर के बाहर मिलना और ले लेना।
यह बोलकर चंपक अपने घर की तरफ चला गया और माधवी सोफे पर बैठ कर कुछ राहत की सांस लेती है।